प्राकट्य दिवस दीपावली के उपरांत चित्रगुप्त यम द्वितीया के दिन ही मनाना चाहिए
प्राकट्य दिवस दीपावली के उपरांत चित्रगुप्त यम द्वितीया के दिन ही मनाना चाहिए
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की जयंती नहीं बल्कि प्रकट दिवस मनाया जाए....विश्वविमोहन कुलश्रेष्ठ
प्राकट्य दिवस दीपावली के उपरांत चित्रगुप्त यम द्वितीया के दिन ही मनाना चाहिए....श्री कपाली बाबा, पीठाधीश्वर श्री हरिश्चंद्र घाट श्मशान पीठ वारणसी-काशी
मैनपुरी (कायस्थ टाइम्स)। भगवान श्री चित्रगुप्त जी की जयंती या प्रकट दिवस के निर्धारण को लेकर के अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के समस्त राष्ट्रीय,प्रदेश,मंडल व जिला पदाधिकारियों के द्वारा स्वयं व समस्त समुदाय में अनुपालन कराए जाने हेतु।
दिनांक 14अप्रैल 2024 को आयोजित वर्चुअल बैठक में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रकोष्ठों सहित व प्रदेश पदाधिकारी जिसमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश,हरियाणा,राजस्थान, मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़,महाराष्ट्र व बिहार राज्य सम्मलित रहे साथ ही कुछ जिला पदाधिकारी भी मौजूद थे।
महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री विश्वविमोहन कुलश्रेष्ठ जी ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य उत्सव को देश में एक दिन निर्धारित हो वह पूरे देश में एक साथ मनाया जाए इसको लेकर बैठक में निर्णय लिए गए।
सर्वसम्मति से लिये गए निर्णय बिन्दुवार निम्नवत हैं-
1. चूंकि भगवान श्री चित्रगुप्त जी पैदा नहीं हुए अपितु भगवान ब्रह्मा जी की तपश्चर्या द्वारा उनकी काया से प्रकट हुए इसलिए उनका प्रकट दिवस ही मनाया जाना चाहिए अतः तय हुआ कि उक्त दिवस को भगवान श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवसोत्सव के रूप में ही मनाया जाएगा।
2. सर्व सम्मति से निर्णय हुआ कि हमारी सदियों पुरानी परंपरा, धार्मिक मान्यता और जिसके सम्बंध में हमारे प्रामाणिक धर्मशास्त्रों में भी वर्णन प्राप्त है के अनुसार ही वर्ष में एक बार कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया जिसे चित्रगुप्त यम द्वितीया के नाम से जाना जाता है उसी दिन को भगवान श्री चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवसोत्सव के रूप में मनाया जाएगा
3. सर्वप्रथम कायस्थ समाज के सभी स्तरों पर महासभा के राष्ट्रीय, प्रादेशिक, मण्डल व जिला स्तरीय समस्त पदाधिकारी समस्त प्रकोष्ठ पदाधिकारी सहित इस निर्णय का प्रामाणिक व तर्कसंगत निरंतर प्रचार-प्रसार करेंगें लोगों को बताएंगे अपने अपने स्तर से परिपत्र जारी करेंगें तथा समस्त प्रदेश अध्यक्ष व महामंत्रीगण अपने अपने प्रदेश में परिपत्र जारी कर अनुपालन सुनिश्चित कराएंगे, समस्त स्तरीय प्रकोष्ठ पदाधिकारी अपने अपने प्रकोष्ठों के लिए अनुपालनार्थ पत्र जारी करें ताकि भ्रम की स्थिति समाप्त हो सके और लोगों को सही, सत्य तथ्य का पता चल सके और तदनुसार अनुपालन/ क्रियान्वयन हो सके।
इस कार्य में सभी की समान रूप से सक्रियता की नितांत आवश्यकता है जो सभी की समान जिम्मेदारी भी है।
विशेष:- उक्त बैठक के उपरांत श्री श्यामजी श्रीवास्तव प्रदेश महामंत्री उत्तर प्रदेश इसी विषय को लेकर कायस्थ कुल में जन्मे चित्रांश गौरव अवधूत उग्र चंडेश्वर श्री कपाली बाबा, पीठाधीश्वर श्री हरिश्चंद्र घाट श्मशान पीठ वारणसी-काशी के पास पहुंचे व बैठक की सम्पूर्ण विषय- वस्तु उनके समक्ष रखी साथ ही मुझसे भी मोबाइल पर वार्ता कराई आदरणीय कपाली बाबाजी के शब्दों में ही हम सभी हमारे दादे-पर दादे सदियों से जिस परंपरा व मान्यताओं का निर्वाह करते चले आरहे हैं और जिनके शास्त्रीय प्रमाण भी मौजूद हैं उन परंपरा व मान्यताओं में भ्रम फैलाने का किसी को कोई हक़ नहीं है भगवान श्री चित्रगुप्त जी की जयंती नहीं अपितु प्रकट दिवस दीपावली के उपरांत चित्रगुप्त यम द्वितीया के दिन ही मनाना चाहिए।
बाबा ने कहा कि इस पर किसी को भी कोई आपत्ति हो तो वह मेरे सामने बैठकर मुझ से शास्त्रार्थ करे और दिखाए कि वह किस आधार पर अन्य किसी दिन की बात करता है।
राष्ट्रीय महामंत्री श्री विश्वविमोहन कुलश्रेष्ठ जी ने सभी से अनुरोध किया है कि उक्तवत सर्वसम्मति से लिये गए निर्णयों का सक्रीयता व जिम्मेदारी के साथ अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए समाज को भ्रमित होने से बचाने, अपनी परंपराओं की निरंतरता व पवित्रता को बनाये रखने में अपना अमूल्य योगदान देने का कष्ट करें।