बहुमुखी प्रतिभा के धनी दानमल माथुर: 7 नवम्बर के दिन भारत सरकार ने दिया था इतना बड़ा सम्मान, जानें इनके बारे में सब कुछ

बहुमुखी प्रतिभा के धनी दानमल माथुर: 7 नवम्बर के दिन भारत सरकार ने दिया था इतना बड़ा सम्मान, जानें इनके बारे में सब कुछ

खेल, शिक्षा, समाज सेवा‌ के अलावा स्काउटिंग में भी दिया अमूल्य योगदान

कोटा (कायस्थ टाइम्स)


राजस्थान के अजमेर में 14 मार्च 1904 को पैदा हुए दानमल माथुर विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। इसलिए भारत सरकार की ओर से उनके सम्मान में 7 नवम्बर 2009 को डाक टिकट जारी किया गया। इस डाक टिकट का मूल्य 500 पैसे था। इसके बावजूद सामान्य तौर पर कायस्थ समाज उनके बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं रखता है।

'कायस्थ टाइम्स' अपने समाज की ऐसी नेपथ्य में छुपी हुई विभूतियों के बारे में जानकारी देने के अपने अभियान के तहत इस अंक में चित्रांश दानमल माथुर जी से अधिकाधिक परिचित कराने की कोशिश कर रहा है।

पिता से ग्रहण किए सिद्धांत

दानमल माथुर को राजस्थान के एक प्रसिद्ध और अत्यधिक सम्मानित प्रकाशक के रूप में याद किया जाता है। वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और बेहद मेहनती थे। उनका जन्म 14 मार्च 1904 को अजमेर में हुआ था। उन्होंने एक शिक्षाविद् के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके पिता, मुंशी कमल माथुर, पहले मेयो कॉलेज में कोटा हाउस के हाउस मास्टर थे। वह भी एक सिद्धांतवादी और अनुशासनप्रिय व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। दानमल ने भी अपने पिता के ऐसे ही गुणों को आत्मसात किया।

ऐसा रहा शानदार केरियर

गवर्नमेंट कॉलेज, अजमेर से स्नातक की डिग्री के साथ दानमल माथुर ने भौतिकी में प्रदर्शनकारी के रूप में काम किया। बाद में उन्होंने सरदार हाई स्कूल, भरतपुर में तीन साल तक अध्यापन किया। इसी बीच मेयो कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य  वीएएस शॉ ने उनकी योग्यता को पहचानते हुए दानमल को विश्व विख्यात मेयो कॉलेज में भूगोल पढ़ाने के लिए नियुक्त किया। वहां वे भूगोल विभाग के प्रमुख बने। वहां से 1969 में  हुई सेवानिवृत्ति से पहले हाउस मास्टर, फिर वाइस प्रिंसिपल तथा कार्यकारी प्रिंसिपल भी बने। दानमल भीलवाड़ा में विद्या निकेतन स्कूल और अजमेर में मयूर स्कूल के संस्थापक प्रधानाचार्य भी रहे।

शिक्षा के क्षेत्र में यह सम्मान मिले

शिक्षा में उनके योगदान के लिए राजस्थान राज्य सरकार ने वर्ष 1970 में उन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी क्रम में मेवाड़ फाउंडेशन ने उन्हें 1981 में महाराणा मेवाड़ पुरस्कार से नवाजा। कई शैक्षणिक संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नमेंट में दानमल माथुर की नियुक्ति एक शिक्षाविद् के रूप में उनके उच्च सम्मान का प्रमाण है।

मेयो कॉलेज में आज भी हैं उनकी यादें

मेयो कॉलेज के लिए शिक्षाविद् के अलावा उनका विशेष योगदान वहां उनके द्वारा स्थापित संग्रहालय है, जिसे अब 'द दानमल माथुर संग्रहालय' कहा जाता है। विदेशी आगंतुकों ने इस संग्रहालय को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्कूल संग्रहालयों में शामिल किया है। भारत का ओपन एयर मैप मेयो कॉलेज में उनका एक और अनूठा योगदान है।

स्काउटिंग के लिए मिले सर्वोच्च सम्मान

दानमल माथुर मदन मोहन मालवीय द्वारा राजस्थान में शुरू किए गए स्काउटिंग आंदोलन के अग्रणी थे। उनकी इन सेवाओं के सम्मान में, उन्हें 'सिल्वर स्टार' और बाद में 'सिल्वर एलीफेंट' जैसे भारत में स्काउटिंग के सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

खेलों में भी दिखाई प्रतिभा

दानमल ने कॉलेज के दौरान खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। तीन प्रमुख खेलों क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी में कप्तानी करने का दुर्लभ गौरव हासिल किया। सरकार ने उनकी इन खेल उपलब्धियों के लिए उन्हें 'कॉल्विन गोल्ड मेडल' से सम्मानित किया। वह  उस राजपूताना क्रिकेट टीम के सदस्य रहे, जो 30 के दशक में भारत और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर एमसीसी के खिलाफ खेली थी।  माथुर अजमेर में विभिन्न बोर्डों, समितियों और संघों में थे, जिन्होंने इसके विकास में

धर्म और अध्यात्म में भी मिली ख्याति

1952 में संयुक्त राज्य अमेरिका में फुल ब्राइट विद्वान के रूप में उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म पर व्याख्यात्मक व्याख्यान दिए। उनके विचारों से वहां के लोग काफी प्रभावित हुए और उन्हें प्रशंसा मिली।

सक्रियता के यह भी हैं प्रमाण

इतना ही नहीं दानमल माथुर अजमेर में विभिन्न बोर्डों, समितियों और संघों में भी शामिल रहे और इनके विकास में अपना योगदान दिया। वे अलग-अलग समय पर शहरी सुधार ट्रस्ट के सदस्य, अजमेर नगर परिषद में पार्षद, इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के उपाध्यक्ष और सावित्री कॉलेज के बोर्ड मेम्बर रहे।

बच्चों में भरते थे आत्मविश्वास

शिक्षाविद् के रूप में वह बच्चों से बेहद प्यार करते थे। साथ ही उनके आत्मविश्वास को बढ़ा कर उनकी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करते थे। आत्मविश्वास को प्रेरित किया।

मेयो कॉलेज, अजमेर का इतिहास, भारत में स्काउट आंदोलन और राजस्थान में शिक्षा का क्षेत्र दानमल माथुर के उल्लेख के बिना अधूरा रहेगा।